The unheard voice of nation
वो जो खुद जात बिरादरी के नाम पर जोड़ तोड़ समीकरण और गठजोड़ की राजनीति पे निर्भर थे उन्हें मोदी भय ने एक साथ रहना सिखा दिया। कुत्ते वास्तव में झुण्ड में रहते हैं, शेर अकेला चलता है वाली कहावत एक हद तक सही साबित होने को है और जानवरों पर बनी इस कहावत को इंसानों पर हावी होते देखने का इतिहास बनाएगा उत्तर प्रदेश! बुआ,बबुआ और पप्पू सब साथ आकर हिसाब का बही खाता मथेंगे कि कौन किस जात धर्म के नाम पर कितने वोट बटोर कर ला सकता है। हांलाकि ईवीएम मशीन पर उठी उंगली का जवाब जनता से स्वयं ही दे दिया। अम्बेडकर के नाम पर दलित वोट लेकर दलितों को विकास के डब्बे में ठेंगा बांटने वाली मायावती को अम्बेडकर जयन्ती पर उन्हीं लोगों ने खुलेआम ठेंगा दिखा दिया। भाषण के नाम पर एक स्वर और विचित्र लहजे में मंच पर कथा बांचने वाली बहनजी का तर्क था कि उन्हें डाक्टर ने चीखने चिल्लाने से मना कर दिया है लिहाज़ा मायावती के अपने लोगों ने उन्हें बोलने की ज़िम्मेदारी से ही मुक्त कर दिया। अब उन्हें बोलने की ज़रूरत नही क्यूंकि सुनने वाला अब कोई नही!
मायावती जिस रूप में उत्तर प्रदेश की राजनीति में उभरी थीं वह इतिहास बन गया बिल्कुल ऐसे ही उनका पतन भी अब इतिहास के रूप में ही दर्ज किया जाएगा। मुलायम सिंह से बदला लेने के पीछे वे पहले भी राज-काज को भुला चुकी थीं, उसके बाद धन लोलुपता के पीछे वे समाज सेवा भूल गईं, और अब अपने बचे-खुचे राजनीतिक करियर को भुनाने के लिए वे अम्बेडकर, दलित उत्थान और बहुजन समाज को भूलने वाली हैं और कभी अपने सम्मान को कपड़े फाड़कर और मारपीट करने वाले व्यक्ति के वंशजों से जोड़ कर द्रौपदी और सीता की भूमि का भी अपमान करेंगी। जहां नारी सम्मान के लिए राज-साम्राज्य सर्वनाश कर दिए गए वहीं नारी स्वयं को अपमानित करने वाले की गोद में जा बैठे तो देखने को और बचा ही क्या?
सनद रहे कि अखिलेश ने चुनावों के दौरान इन्हीं मायावती को बुआ संबोधित कर लोगों को भड़काया था कि बुआ पे भरोसा मत करना कभी भी भाजपा से हाथ मिला सकतीं हैं।
ऋतु कृष्णा